नेताजी सुभाष चंद्र बोस फैजाबाद के गुमनामी बाबा नहीं थे। लेकिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नजदीकी जरूर थे। इस बात का खुलासा गुमनामी बाबा की जांच के लिए हाईकोर्ट के रिटायर जज जस्टिस विष्णु सहाय की अध्यक्षता में गठित एक सदस्यीय जांच आयोग ने किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस जांच आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा में रखे जाने का फैसला किया गया। विधानसभा में जांच आयोग की रिपोर्ट रखे जाने से इस जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक किए जाने की लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी हो सकेगी।
कैबिनेट ने इस जांच रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखे जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब इस मंजूरी के बाद जांच रिपोर्ट को विधानसभा में रखा जा सकेगा। खास बात यह है कि फैजाबाद में लंबे समय तक रहे गुमनामी बाबा उर्फ भगवान जी के नेताजी सुभाष चंद्र बोस होने की बात सरकार के संज्ञान में आई थी। बाबा के निधन के बाद उनके बक्से और उनके रहने के स्थान से मिले नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवारीजनों के साथ पुराने फोटो, पत्र और अन्य दस्तावेजों से लोग यह मानकर चल रहे थे कि गुममानी बाबा ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस हैं। इसकी जांच के लिए भी मांग उठ रही थी।
इस पर तत्कालीन सरकार ने सारे मामले की जांच के लिए एक सदस्यीय जांच आयोग गठित किया था। इस जांच आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को वर्ष-2017 में सौंप दी थी, लेकिन लोग बाबा के बारे में सारे तथ्य जानने को बेताब हैं। यहां तक कि यह मामला लोकसभा और विधान सभा तक में उठा कि जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए। नेताजी के परिवारीजनों ने भी गुमनामी बाबा के नेताजी होने की संभावना जताई थी। बहरहाल, तत्कालीन सरकार ने तो नहीं, वर्तमान भाजपा सरकार ने जांच आयोग के सारे तथ्य जनता के सामने सार्वजनिक करने के लिए जांच रिपोर्ट को विधानसभा में रखने का फैसला किया है। जिससे लोग विश्वास कर सकें कि गुमनामी बाबा नेताजी नहीं थे, हां, उनके कोई खास जरूर थे।